कौन कहता है प्यार दे जाओ
कौन कहता है ये संसार दे जाओ
जरुरी तो नहीं की तुम भी प्यार करो
भटकू मयखाने में या कुरेदान में
बस तेरा आभास मिल जाए
कौन कहता है की प्यार दे जाओ !!
प्रचंड पछबा में मचलने दो
पहाड़ो पर टूटती है सांसे तो टूटने दो
रुक जाय समय तो मुझे चलने दो
कौन कहता है प्यार दे जाओ
बस तेरा आभास मिल जाए कौन कहता है की प्यार दे जाओ !!
नदी नाहर लाँघ आया हूँ
सुख गए हें होठ
पर, तू कह दे तो फराक
इतिहास लिख जाऊ
कौन कहता है प्यार दे जाओ
ऐ खुदा '
बस उसे भी मेरा आभास मिल जाए !!!
मनोहर कुमार झा .
No comments:
Post a Comment