क्लैमेक्स (कबिता)
वह कौन था
पता नहीं
सुबह आता
देर संध्या तक कुछ न कुछ काम
कर कर चला जाता था
बार दूबर था
सबकी घुरकी सुनता
रासन की पंक्ति से
टाइम कल की लाइन तक
पुराने गुलाब की तरह
मरोरा जाता
सहसा ,
वह जागता है
कुछ ..........
गोंघा कैरियर
मूक कर देता है
पता नहीं
फिर क्या हुआ
फिल्म का
एक गर्द गुबारा
गुम हो गया
एक जमी एक आसमा के लिये !
---------मनोहर कुमार झा
वह कौन था
पता नहीं
सुबह आता
देर संध्या तक कुछ न कुछ काम
कर कर चला जाता था
बार दूबर था
सबकी घुरकी सुनता
रासन की पंक्ति से
टाइम कल की लाइन तक
पुराने गुलाब की तरह
मरोरा जाता
सहसा ,
वह जागता है
कुछ ..........
गोंघा कैरियर
मूक कर देता है
पता नहीं
फिर क्या हुआ
फिल्म का
एक गर्द गुबारा
गुम हो गया
एक जमी एक आसमा के लिये !
---------मनोहर कुमार झा
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