Thursday, December 29, 2011

क्लैमेक्स (कबिता)
वह कौन था
पता नहीं
सुबह आता
देर संध्या तक कुछ न कुछ काम
कर कर चला जाता था
बार दूबर था 
सबकी घुरकी सुनता
रासन की  पंक्ति से
टाइम कल की  लाइन तक
पुराने गुलाब की तरह
मरोरा  जाता
         सहसा ,
                वह जागता है
                कुछ ..........
                गोंघा कैरियर
               मूक कर देता है
पता नहीं
       फिर क्या हुआ
  फिल्म का
एक  गर्द गुबारा
गुम हो गया
एक जमी एक आसमा के लिये !
                            ---------मनोहर कुमार झा

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