Saturday, November 3, 2012


      (गजल )

   मेहदी सुख गए उस रात  के तो क्या हुआ 
   लाली आज भी है।।
   बदलने लगे इसरो  की मायने तो क्या हुआ
   नजदीकियां  आज भी है।।
   सुख गए है ओ गजरे तो क्या हुआ 
  तेरे इबादत में कुसुम आज भी है।।
  वकत ने दुरी कर दी तो क्या हुआ 
 तेरे होठो का एहसास आज भी है।।
 कुछ इसारे कवी न बदलते, 
 मैं तो आज भी लता हु गजरे 
बाकि खुसबू आज भी है।।
                     <मनोहर  कुमार झा >

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