(गजल )
मेहदी सुख गए उस रात के तो क्या हुआ
लाली आज भी है।।
बदलने लगे इसरो की मायने तो क्या हुआ
नजदीकियां आज भी है।।
सुख गए है ओ गजरे तो क्या हुआ
तेरे इबादत में कुसुम आज भी है।।
वकत ने दुरी कर दी तो क्या हुआ
तेरे होठो का एहसास आज भी है।।
कुछ इसारे कवी न बदलते,
मैं तो आज भी लता हु गजरे
बाकि खुसबू आज भी है।।
<मनोहर कुमार झा >
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